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Friday, June 15, 2007

लम्हे ये सुनहरे कल साथ हो ना हो,...

लम्हे ये सुनहरे कल साथ हो ना हो,
कल मे आज जैसी बात हो ना हो,
यादों के हसीं लम्हे दिल मे रहेंगे,
तमाम उमर चाहे मुलाक़ात हो ना हो

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मुस्कुरा दो ज़रा खुदा के वास्ते,
समा-ए-महेफ़ील में रोशनी काम है
तुम हमारे नही तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो है ये क्या काम है

कितना भी चाहो ना भूल पाओगे हमे ....

कितना भी चाहो ना भूल पाओगे हमे
जितनी दूर जाओगे नज़दीक पाओगे हमे
मिटा सकते हो तो मिटा दो यादें मेरी
मगर क्या सांसो से जुदा कर पाओगे हमे?

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माना आज उन्हे हमारा कोई ख़याल नही,
जवाब देने को हम राज़ी हे पर कोई सवाल नही,
पूछो उनके दिल से क्या हम उनके यार नही,
क्या हमसे मिलने को वो बेकरार नही..!!

Tuesday, June 05, 2007

हम से दूर जाओगे कैसे...

हम से दूर जाओगे कैसे,
दिल से हमे भुलाओगे कैसे,
हम तो वो ख़ुश्बू हैं जो आपकी
साँसों में बसते हैं
ख़ुद की सांसो को रोक पाओगे कैसे

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हर बार दिल से यह पैगाम आए
ज़ुबान खोलू तो तेरा ही नाम आए
तुम ही क्यों भाए दिल को क्या मालूम
जब नज़रों के सामने हसीन तमाम आए!

बोलती है दोस्ती चुप रहता है प्यार,...

बोलती है दोस्ती चुप रहता है प्यार,
हँसती है दोस्ती रुलाता है प्यार,
मिलती है दोस्ती जुदा करता है प्यार,
फिर भी क्यूं दोस्ती छोड़कर लोग करते है प्यार?

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लेके हम दूसरो की हँसी क्या करे,
जो अपनी नही वो ख़ुशी क्या करे,
तन्हा जीने से बेहतर है मर जाए हम
जब साथ तुम नही तो ज़िंदगी जी कर क्या करें...

सुर्ख़ आँखो से जब वो देखते ह...

सुर्ख़ आँखो से जब वो देखते है
हम घबराकर आँखे झुका लेते है
कौन मिलाए उन आँखो से आखे..
सुना है वोह आखो से अपना बना लेते है
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यह दिन तो काट जाता है यूँ ही,
यह रात कम्बख़्त जाती ही नही,
रोज़ तुमसे मिलने की तमन्ना होती है
पैर वो घड़ी कम्बख़्त आती ही नही,
हर दिन मरते हैं तुमसे मिले बिना,
और मौत कम्बख़्त आती ही नही......

शाम होते ही ये दिल उदास होता है...

शाम होते ही ये दिल उदास होता है
टूटे ख्वाबों के सिवा कुछ ना पास होता है
तुम्हारी याद ऐसे वक़्त बहुत आती है
बंदर जब कोई आस-पास होता है

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मोहब्बातों मे ज़रा सी कसक ज़रूरी है
शिकायतों के गुलों की महक़ ज़रूरी है
कोई सवाल करूँ मैं तुमसे तो नाराज़ मत होना..
क्यों की सच्चे प्यार मे थोड़ा सा शक ज़रूरी है


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मुद्दत से दूर थे हम
आप मिले..
आप का मिलना अच्छा लगा...
सागर से गहरी लगी आपकी मोहब्बत...
तैरना तो आता था...
पैर डूबना अच्छा लगा...

Friday, June 01, 2007

कॉलेज में अजीब-अजीब खेल होता है...

कॉलेज में अजीब-अजीब खेल होता है
पढ़ाई के बहने दो दिलों का मेल जोल होता है
इसीलिए तो भैया पप्पू हर साल फेल होता है

तुझसे प्यार क्या किया सब उम्मीदें टूट गई...

तुझसे प्यार क्या किया सब उम्मीदें टूट गई
क्या बतौँ तुझसे, मुझसे तो मेरी मौत भी रूठ गई
अब तो आँखों मे बस आँसू हैं
दिल मे मरने की तमन्ना
हर पल दुआ है दिल से ज़िंदगी रूठे तो रूठे
मौत ना रूठे किसी से

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ऐसा प्यार किया तुझसे ख़ुद से नफ़रत हो गई
ऐसा दिल दिया तुझको ख़फा मुझसे कुदरत हो गई

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अब तुझे भूल भी जाऊं तो क्या है
तेरे इश्क़ ने बर्बाद तो कर ही दिया
ना मर सकता हूँ ओर ना जी सकता हूँ
प्यार तुझसे करके ज़हर ऐसा पिया

यह रात इतनी तन्हा ....

यह रात इतनी तन्हा क्यूं होती है
सब को क़िस्मत साय शिकायत क्यूं होती है
यह क़िस्मत भी अजीब खेल खेलती है
जिसे अपनाना मुश्किल होता है
मोहब्बत उससी साय क्यूं होती है

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आँखें खुली हों तौ चेहरा तुम्हारा हो,
आँखें बूँद हों तौ सपना तुम्हारा हो,
मुझे मौत का डर ना होगा अगेर,
कफ़न की जगह दुपट्टा तुम्हारा हो

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जाने कौन दुआओं में याद रखता है
जब भी में डूबता हूँ समुंदर उछाल देता है


कुछ उनकी अदाओ ने लूटा,...

कुछ उनकी अदाओ ने लूटा,
कुछ उनके इनायत मार गयी
हम राज़ ए मोहब्बत कह ना पाए,
चुप रहने की आदत मार गयी
दोनो से ही है शिकायत,
इल्ज़ाम लगाए किस पर
कुछ दिल ने हमे बर्बाद किया ,
कुछ हमारी किस्मत मार गयी

हक़ीक़त पहचान लेना

हक़ीक़त पहचान लेना
बिछड़ जाने से पहले,
मेरी सुन लेना
अपनी सुनने से पहले,
बहुत रोई है ये आँखें
आपके दूर जाने से पहले

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कहाँ कोई ऐसा मिला जिसपर दिल लूटा देते, ...

कहाँ कोई ऐसा मिला जिसपर दिल लूटा देते,
हर एक ने दिया धोखा किस किस को भुला देते.
अपने दिल का दर्द दिल मे दबाए रखा,
अगर करते बयान तो महफ़िल को रुला देते.

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खुदा ने हमे एक ज़िंदगी दी है
और हमे ये ज़िंदगी आपके साथ जीना है
और अगर इस ज़िंदगी में आप ही नहीं,
तो ये ज़िंदगी हमारे लिया क्या जीना है



मेरी ज़िंदगी का सहारा नही है...

मेरी ज़िंदगी का सहारा नही है

इस जहाँ मे कोई हमारा नही है

छुआ उनका दामन तो वे हँसकार बोले,

दोस्त ये दामन तुम्हारा नही है

प्यार कमज़ोर दिल से किया नही जा सकता,...

प्यार कमज़ोर दिल से किया नही जा सकता,
ज़हर दुश्मंन से लिया नही जा सकता,
दिल में बसी है उल्फ़त जिस प्यार की
उस के बिना जिया नही जा सकता.
साथ रहते रहते यू हीं वक़्त गुज़र जाएगा
दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा
जी लो ये पल जब हम साथ है
कल का क्या पता, वक़्त कहाँ ले जाएगा

यू घुट घुट कई ज़िंदगी हम जिया नही करते,

यू घुट घुट कई ज़िंदगी हम जिया नही करते,
यू किसी का पीछा हम किया नही करते,
ये तो इताफ़ाक की बात है की दिल तूमपे आ गया ,
वरना इतनी क़ीमती चीज़ हम किसी को दिया नही करते.


जब जब आपसे मिलने के उम्मीद नज़र आई
मेरे पाव मे ज़ंज़ीर नज़र आई
गिर पड़ा आँसू आँख से,और हर एक आँसू मे आपकी तस्वीर नज़र आई.



फिर किसी याद ने शब भर हाय जगाया मुझ को ...

फिर किसी याद ने शब भर हाय जगाया मुझ को
क्या सज़ा दी हाय मोहबत ने खुदाया मुझ को

दिन को आराम हाय ना रात को है चैन कभी
जाने किस ख़ाक से क़ुदरत ने बनाया मुझ को

दुख तो एह हाय केह ज़माने मैं मिलाए घर सभी
जो मिला हाय वोह मिला बन केय पराया मुझ को

जब कोई भी ना रहा कंधा मेरे रोने को
घर की दीवारों ने सीने से लगाया मुझ को

यू तो उमी
-ए-वफ़ा तुम से नहीं हाय कोई
फिर चरागों की तरह किस नेय जलाया मुझ को

बेवफ़ा ज़िंदगी ने जब छोड़ दिया हाय तन्हा
मौत ने प्यार से पहलू मैं बिठाया मुझ को

वो दिया हूँ जो मोहब्बत ने जलाया था कभी
ग़म की आंधी ने सर-ए-शाम बुझाया मुझ को

कैसे भूलूंगा वो ही वस्ल के लम्हे
याद आता रहा ज़ुल्फ़ो का ही साया मुझ को

हसीनो ने हसीं बनकर गुनाह कर दिया,औरो को ठीक हमको भी बर्बाद कर दिया ,

हसीनो ने हसीं बनकर गुनाह कर दिया,औरो को ठीक हमको भी बर्बाद कर दिया ,

इस बर्बादी की हमने ग़ज़ल बना दी ,औरो ने तो ठीक उन्होने भी वाह वाह कर दिया

मोहब्बत और आशिकी मे हैं मजबूरियाँ हज़ार,...

मोहब्बत और आशिकी मे हैं मजबूरियाँ हज़ार,

मोहब्बत तो हो जैसे कोई मजबूरी का बाज़ार,

मोहब्बत की चाह वाले मजबूरी ख़रीदा करते हैं

अपने ही अमन चैन से दूरी ख़रीदा करते हैं

अचानक मोहब्बत कर बैठे हूँ,...

अचानक मोहब्बत कर बैठे हूँ,
क्या पता था अंधेरो मे कही खो जाएँगे...
भुला बैठे थे अपनो को ही हम
क्या पता था आख़िर लौट कर उन के पास ही आएँगे...

भले ही टूटे मेरा दिल,तुमसे प्यार आज भी है ...

भले ही टूटे मेरा दिल,तुमसे प्यार आज भी है

तेरे लिए मेरे दिल में, वो बहार आज भी है

जिस राह चल दिए तुम मेरा साथ छोड़ कर,

उसी राह में तेरे आशिक़ की मज़ार आज भी है

हर ख़ुशी तेरी तरफ़ मोड़ दूं ...

हर ख़ुशी तेरी तरफ़ मोड़ दूं तेरे लिए चाँद तारे तक तोड़ दूं

ख़ुशिओ के दरवाज़े तेरे लिए खोल दूं

इतना काफ़ी है या 2 - 4 झूठ और बोल दूँ

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