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Wednesday, April 25, 2012

Mast Hindi Shayari


यह वक़्त नहीं है रोने का,
यह वक़्त है बच्चा होने का.
उस वक़्त क्यों नहीं रोई थी,
जब चिपक के सोई थी.
अब जो किया है वो भरो,
तब तो कहती थी और करो,और करो........

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सुबह- सुबह जब खिड़की खोले, फलवाला ज़ोर से बोले:
8 रुपय के 12 केले, कम पड़े तो मेरा ले ले .

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पलट के देख ज़ालिम,तमन्ना हम भी रखते हैं,
हुस्न तुम रखती हो, तो जवानी हम भी रखते हैं..
गहराई तुम रखती हो तो लंबाई हम भी रखते हैं!

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