मरने के बाद बंता कंजूस ऊपर पहुंचे तो परलोक के दरबान ने रोक लिया और
पूछताछ करने लगा।
उसने पूछा, तुमने कभी कोई नेक काम किया है?
बंता कंजूस- हां, कल मैंने एक बुढ़िया को दस पैसे दिए थे।
दरबान- और कोई नेक काम?
बंता- पांच साल पहले एक अपाहिज बच्चे को पांच पैसे दिए थे।
दरबान- और कोई नेक काम?
बंता- अभी तो यही याद हैं।
दरबान- यह लो पंद्रह पैसे और जहन्नुम में जाओ।
उसने पूछा, तुमने कभी कोई नेक काम किया है?
बंता कंजूस- हां, कल मैंने एक बुढ़िया को दस पैसे दिए थे।
दरबान- और कोई नेक काम?
बंता- पांच साल पहले एक अपाहिज बच्चे को पांच पैसे दिए थे।
दरबान- और कोई नेक काम?
बंता- अभी तो यही याद हैं।
दरबान- यह लो पंद्रह पैसे और जहन्नुम में जाओ।
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