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Wednesday, August 06, 2008

तेरी आँखों मे ...

तेरी आँखों मे मेरे ख्वाब नज़र आते हैं, जब भी मैं कुछ कहूँ तो बस तेरे ही अल्फाज़ नज़र आते हैं,
ये कोई तिलिस्म है या बस हमारे रिश्ता,
की मेरी हर धड़कन मे तेरे ही साज नज़र आते हैं,
तुझसे मैं हूँ या मुझमे हो तुम बसी,
मेरी साँसों से जुड़े तेरे दिल के तार नज़र आते है,
जब भी ये आँसू मेरी आँखों को सताते हैं,
तेरे आँचल की ठंढक से मेरी मुस्कान नज़र आते है,
तुम्हे मैं माँ कहूँ या बस एक ठंडी हवा,
की मेरे सारे दर्द तेरी पनाह मे घुल जाते हैं,
तेरी आँखों मे मेरे ख्वाब नज़र आते हैं...............................

1 comment:

Anonymous said...

very nice! hahahahaha

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