बंदे ने पूछा.....
ए उपरवाले इन हसीनो की कमर क्यों पतली करदी,
क्या मिट्टी की कमी थी या रिश्वत खाई थी ?
उपरवाले ने कहा, ना ही मिट्टी की कमी थी ना रिश्वत खाई थी...
बस कमर की मिट्टी सीने पे लगाई थी.
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ग़ालिब उड़ रहा था हवा मैं,
बड़े ही ज़ोर की हवा चल रही थी,
ग़ालिब उड़ रहा था हवा मैं,
बड़े ही ज़ोर की हवा चल रही थी .......
हवा बंद हुई ग़ालिब गा#ड़ के बल गिर गया.......
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अर्ज़ किया है...
बड़ी हसरत थी की खोलू उनकी सलवार का नाडा,
सनम की बेरूख़ी देखो की नंगी ही चले आए!
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