मर्ज़ लाइलाज़ है तो चारा गर करेगा क्या
हम भटकना चाहेंगे तो राहबर करेगा क्या
ज़िंदगी है साँस भर उम्र भर की मौत है
साँस भर न जी सका उम्र भर करेगा क्या
जिसको ढूंढता हुआ दर-ब-दर फिरा है तू
वो बना है अजनबी, ढूंढकर करेगा क्या
आजतक झुका नहीं जो किसीके सामने,
सजदा तेरा ना करे, तो वो सर करेगा क्या
बुत बना रहे कोई, और कोई रहे ख़फा,
ये सफ़र का हाल है, हमसफ़र करेगा क्या
मौत जब क़रीब हो, ज़िंदगी र क़ीब हो,
और द वा बने ज़हर, तो ज़हर करेगा क्या
ख़ुद खुदा से पूछ ले 'रूह' ये तेरा जुनून
उस खुदा के दिल पे भी कुछ असर करेगा क्या
Sunday, December 30, 2007
बगिया
आसमान में उड़ना चाहा, पंखों में कुछ तीर चुभे है
अधरो ने गाना तो चाहा, पर मन में ही गीत दबे हैं
खिलखिलके हसना तो चाहा, मुसका नोपर लगे हैं ताले
काँटों की राहों पर चलकर इन पैरों में पड़े हैं छा ले
आशाओं के वंदनवार से मन का द्वार सजाना चाहा
अपने लहू से सिँचके हमने ये गुलज़ार सजाना चाहा
हर आशा को चोट लगी है, और कलियों को ज़ख़्म मिले हैं
हाल न पूछो इस बगिया का, फूल के बदले शूल खिले हैं
चाहा कुछ था पाया कुछ है, किस्मत ने कुछ यूँ लूटा है,
पता नहीं कब हाथ से अपने ख़ुशियों का दामन छूटा है
अधरो ने गाना तो चाहा, पर मन में ही गीत दबे हैं
खिलखिलके हसना तो चाहा, मुसका नोपर लगे हैं ताले
काँटों की राहों पर चलकर इन पैरों में पड़े हैं छा ले
आशाओं के वंदनवार से मन का द्वार सजाना चाहा
अपने लहू से सिँचके हमने ये गुलज़ार सजाना चाहा
हर आशा को चोट लगी है, और कलियों को ज़ख़्म मिले हैं
हाल न पूछो इस बगिया का, फूल के बदले शूल खिले हैं
चाहा कुछ था पाया कुछ है, किस्मत ने कुछ यूँ लूटा है,
पता नहीं कब हाथ से अपने ख़ुशियों का दामन छूटा है
Labels:
गीत और कविता
कैसे खिलेगा फूल
कैसे खिलेगा फूल वो टूटा जो शाख से
मिल जाएगा वो ख़ाक में आया है ख़ाक से
रंगीन हैं फ़िजाएँ तुम्हारे विसाल से
गमगीन हैं फ़िजाएँ ख़याल-ए-फ़िराक से
मर्ज़ी तेरी है तू कभी आए के न आए
आवाज़ दी है हमने तो उठउठके ख़ाक से
हैरत से न यूँ देख हमें ग़ैर नज़र से
महफ़िल में तेरी आए हैं हम इत्तेफ़ाक से
नादान है ये जान भी दे देगा इश्क़ में
इस दिल को कभी यूँ न सताओ मज़ाक से
ए रूह उसकी बेरूख़ी ने जान से मारा
हम तो गए थे मिलने बड़े इश्तियाक से
मिल जाएगा वो ख़ाक में आया है ख़ाक से
रंगीन हैं फ़िजाएँ तुम्हारे विसाल से
गमगीन हैं फ़िजाएँ ख़याल-ए-फ़िराक से
मर्ज़ी तेरी है तू कभी आए के न आए
आवाज़ दी है हमने तो उठउठके ख़ाक से
हैरत से न यूँ देख हमें ग़ैर नज़र से
महफ़िल में तेरी आए हैं हम इत्तेफ़ाक से
नादान है ये जान भी दे देगा इश्क़ में
इस दिल को कभी यूँ न सताओ मज़ाक से
ए रूह उसकी बेरूख़ी ने जान से मारा
हम तो गए थे मिलने बड़े इश्तियाक से
Labels:
गीत और कविता
भूले ही नहीं...
भूले ही नहीं आपको तो याद करें कैसे
ख्वाबों के नशेमन को यूँ बर्बाद करें कैसे
अक्सर तो ख़यालों में मिला करते हैं तुमसे
मिलकर भी जुदा रहने की फ़रियाद करें कैसे
ये दर्द की सौगाते तो नेमत हैं खुदा की
इस दर्द से दिल को कोई आज़ाद करें कैसे
नाशाद जो हुआ है सनम तुमसे बिछड़के
कुछ ये तो कहो दिल का जहाँ शाद करें कैसे
ए 'रूह' ख़ुद ही डू बे हैं हम ग़म के भंवर में
उनकी उदास रातों को आबाद करें कैसे
ख्वाबों के नशेमन को यूँ बर्बाद करें कैसे
अक्सर तो ख़यालों में मिला करते हैं तुमसे
मिलकर भी जुदा रहने की फ़रियाद करें कैसे
ये दर्द की सौगाते तो नेमत हैं खुदा की
इस दर्द से दिल को कोई आज़ाद करें कैसे
नाशाद जो हुआ है सनम तुमसे बिछड़के
कुछ ये तो कहो दिल का जहाँ शाद करें कैसे
ए 'रूह' ख़ुद ही डू बे हैं हम ग़म के भंवर में
उनकी उदास रातों को आबाद करें कैसे
Labels:
गीत और कविता
Tuesday, December 11, 2007
इंतज़ार है उस शाम का
चाहत है उस शाम की
जब हो सिर्फ़ हो हम और तुम
हाथों में हाथ लिए
एक दूसरे में हो जाए गुम
मदमस्त करता हवा का झोका
और नीले झील का किनारा
चंदा संग चँदनी की किरने
बन जाए हम एक दूसरे का सहारा
होठों से कुछ ना कह कर भी
नज़रों ही नज़रों में सब कहना
दिल की राहों पर चलते हुए
मन ही मन मुस्कुराते रहना
सिर्फ़ कल्पना से ही बस
धड़कने हो जाती है तेज़
अब मुझे इंतज़ार है उस शाम का
सजेगी तेरे मेरे अरमानो की सेज .
जब हो सिर्फ़ हो हम और तुम
हाथों में हाथ लिए
एक दूसरे में हो जाए गुम
मदमस्त करता हवा का झोका
और नीले झील का किनारा
चंदा संग चँदनी की किरने
बन जाए हम एक दूसरे का सहारा
होठों से कुछ ना कह कर भी
नज़रों ही नज़रों में सब कहना
दिल की राहों पर चलते हुए
मन ही मन मुस्कुराते रहना
सिर्फ़ कल्पना से ही बस
धड़कने हो जाती है तेज़
अब मुझे इंतज़ार है उस शाम का
सजेगी तेरे मेरे अरमानो की सेज .
Labels:
गीत और कविता
Subscribe to:
Posts (Atom)
Popular Posts
-
तीन गांडू एक दूसरे की गान्ड मार रहे थे,अचानक पुलिस का छापा पड़ गया , एक को पुलिस पकड़ कर ले गयी, दूसरा भाग गया और तीसरा यह चुटकुला पढ़ रहा ह...
-
एग्ज़ॅम और सुहाग रात के बाद कामन डाइलॉग- कैसा हुआ.? अच्छा हुआ, थोड़ा बड़ा था थोड़ा छूट गया, आता था पर ठीक से कर नही पया. फिर भी जैसा हुआ ...
-
पत्नी:- में नहा कर बाहर आई तो सामने ससुर जी आ गये पति:- फिर तुमने क्या किया पत्नी:- करती क्या, टॉवेल उपर करके उसका घूँघट बना लिया **...
-
एक आदमी अपनी नौकरानी से प्यार करते हुए बोला - तुम तो मेरी बीबी से भी मीठी हो. नौकरानी ने कहा - मुझे पता है. आदमी बोला- कैसे पता है. नौक...
-
A Couple was sittng in tha Garden, Suddnly a Dog and Bitch came and start kissing. Boy: Janu agar Tum Bura na Mano to Me bhi... Girl:...
-
Suhagraat ko pati patni se bolta hai Ijaajat hai? Bibi:- Hai ji. Pati poori raat kaam lagata hai. Bibi Bimar ho jati hai. Pati bibi...