मुझे गम नहीँ जो नींद ना मयस्सर हो
मेरे मौला मुझे ख्वाबों से रिहा कर दे
हक़ीक़त और तसवउर के दरमीयाँ घुटन सी है
जिसे पाने की हसरत हो उसे नज़र से निहान कर दे
इतना कंज़रफ़ ओ मगरूर हूँ की कह नही सकता
मुझे आगोश मे भर ज़िंदगी की ईशा कर दे
तेरी कायनात में पाने खोने का दस्तूर है
मुट्ठी में बंद तक़दीर को मेरी , हवा कर दे
जो कह ना सका यक़ीनन तू समझ जाएगा
मेरी इल्टीजा मान अपना फरमान बयान कर दे
हर गुज़रता लम्हा मेरे होश ले रहा है
ठहरे हुए एहसास हैं उन्हे रवान कर दे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
तीन गांडू एक दूसरे की गान्ड मार रहे थे,अचानक पुलिस का छापा पड़ गया , एक को पुलिस पकड़ कर ले गयी, दूसरा भाग गया और तीसरा यह चुटकुला पढ़ रहा ह...
-
एक कर्मचारी ने देखा कि उसका बॉस कार के अंदर एक लड़की का गेम बजा रहा है। कर्मचारी —” वाह सर…अकेले अकेले…..हमारा नंबर कब आएगा ?? “ बॉस —” इस ...
-
Suhagraat ko pati patni se bolta hai Ijaajat hai? Bibi:- Hai ji. Pati poori raat kaam lagata hai. Bibi Bimar ho jati hai. Pati bibi...
-
एग्ज़ॅम और सुहाग रात के बाद कामन डाइलॉग- कैसा हुआ.? अच्छा हुआ, थोड़ा बड़ा था थोड़ा छूट गया, आता था पर ठीक से कर नही पया. फिर भी जैसा हुआ ...
-
रमेश: सुना है लाॅक डाउन में घरेलू हिंसा के मामले ..... काफी बढ़ गये है, तुम्हारे यहां क्या हाल है? सुरेश: हम तो टाइम से बर्तन, झाड़ू, प...
-
पत्नी:- में नहा कर बाहर आई तो सामने ससुर जी आ गये पति:- फिर तुमने क्या किया पत्नी:- करती क्या, टॉवेल उपर करके उसका घूँघट बना लिया **...
No comments:
Post a Comment