Social Icons

Friday, January 07, 2011

वक्‍त बीता याद आता

वक्‍त बीता याद आता
बीत जाती जो कहानी जग उसे ही दोहराता

युवापन का मीत जिसने घाव उर पर था लगाया
आज वो सपने में आकर कामना की लौ जलाता
पोटली जिसके खतों की कल जलाई आज उसकी
बेवफाई की अदा पर बेतहाशा प्यार आता
जो मिला अपना पराया जोड सबसे आये नाता

बालमन मिट्टी की गुड़िया माँगता था मिल न पायी
जब मिली तो कामनाएँ बाढ़ बरसाने लगी थीं
रंग ले यौवन का बरसाने पहुँच मैं भी गया पर
गोपियाँ नवरात्रि के तब तक भजन गाने लगी थीं
बस गया भीतर वही बाहर हमें जो मिल न पाता

पाँव जितने पग चले पदचिह्न भी उतने बनाये
और हर पग पर डगर से भी मिली सौगात कोई
चाहतें किलकारियाँ खुशियाँ भले कुछ कम मिलीं पर
अनगिनत छाले गठानें दाग तिल काँटे बिवाई
जिन्दगी से जो मिला सुख-दुख हमें सब आज भाता
***

--सुधीर साहु

No comments:

Popular Posts

Blog of the Day - Daily Update