मोहब्बत और आशिकी मे हैं मजबूरियाँ हज़ार,
मोहब्बत तो हो जैसे कोई मजबूरी का बाज़ार,
मोहब्बत की चाह वाले मजबूरी ख़रीदा करते हैं
अपने ही अमन चैन से दूरी ख़रीदा करते हैं
मोहब्बत तो हो जैसे कोई मजबूरी का बाज़ार,
मोहब्बत की चाह वाले मजबूरी ख़रीदा करते हैं
अपने ही अमन चैन से दूरी ख़रीदा करते हैं
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