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Friday, June 15, 2007

लम्हे ये सुनहरे कल साथ हो ना हो,...

लम्हे ये सुनहरे कल साथ हो ना हो,
कल मे आज जैसी बात हो ना हो,
यादों के हसीं लम्हे दिल मे रहेंगे,
तमाम उमर चाहे मुलाक़ात हो ना हो

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मुस्कुरा दो ज़रा खुदा के वास्ते,
समा-ए-महेफ़ील में रोशनी काम है
तुम हमारे नही तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो है ये क्या काम है

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