सुर्ख़ आँखो से जब वो देखते है
हम घबराकर आँखे झुका लेते है
कौन मिलाए उन आँखो से आखे..
सुना है वोह आखो से अपना बना लेते है
****************************************
यह दिन तो काट जाता है यूँ ही,
यह रात कम्बख़्त जाती ही नही,
रोज़ तुमसे मिलने की तमन्ना होती है
पैर वो घड़ी कम्बख़्त आती ही नही,
हर दिन मरते हैं तुमसे मिले बिना,
और मौत कम्बख़्त आती ही नही......
हम घबराकर आँखे झुका लेते है
कौन मिलाए उन आँखो से आखे..
सुना है वोह आखो से अपना बना लेते है
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यह दिन तो काट जाता है यूँ ही,
यह रात कम्बख़्त जाती ही नही,
रोज़ तुमसे मिलने की तमन्ना होती है
पैर वो घड़ी कम्बख़्त आती ही नही,
हर दिन मरते हैं तुमसे मिले बिना,
और मौत कम्बख़्त आती ही नही......
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