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Friday, June 01, 2007

अचानक मोहब्बत कर बैठे हूँ,...

अचानक मोहब्बत कर बैठे हूँ,
क्या पता था अंधेरो मे कही खो जाएँगे...
भुला बैठे थे अपनो को ही हम
क्या पता था आख़िर लौट कर उन के पास ही आएँगे...

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