ऐसा दोस्ताना हमारा,
मैं कश्ती तू किनारा,
मैं धनुष तू तीर,
मैं मटर तू पनीर,
मैं वर्षा तू बदल,
मैं हॉट तू कूल,
मैं APRAIL तू FOOL.
याद है हम पहले कहाँ मिलते थे......
ट्रेन रुकी, खिड़की खुली, नज़रो से नज़रे मिली और आपने कहाँ,....
अल्लाह के नाम पे कुछ दे दे बाबा!!!!!!
इन हसीनो से रस्मे वफ़ा
और दिल लगाना सरासर भूल है…
जिस दिन ये इकरार करें मोहब्बत का,
समझ लेना उस दिन APRAIL FOOL है…!
मैं कश्ती तू किनारा,
मैं धनुष तू तीर,
मैं मटर तू पनीर,
मैं वर्षा तू बदल,
मैं हॉट तू कूल,
मैं APRAIL तू FOOL.
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याद है हम पहले कहाँ मिलते थे......
ट्रेन रुकी, खिड़की खुली, नज़रो से नज़रे मिली और आपने कहाँ,....
अल्लाह के नाम पे कुछ दे दे बाबा!!!!!!
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इन हसीनो से रस्मे वफ़ा
और दिल लगाना सरासर भूल है…
जिस दिन ये इकरार करें मोहब्बत का,
समझ लेना उस दिन APRAIL FOOL है…!
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