संता धीरे-धीरे कुछ लिख रहा था।
संता (बंता से)- इतने धीरे क्या लिख रहे हो?
बंता (संता से)- अपने सात साल के बेटे पत्र लिख रहा हूं वो अभी छोटा है वो तेज नहीं पढ़ सकता ना।
सन्ता:- ओये खोते देख कुदरत मेरी कितनी मदद करती है। मुझे कुछ पेड़ काटने थे और तूफान ने आकर मेरी समस्या हल कर दी। फिर मुझे कूड़ा करकट जलाना था तो बिजली गिरी और वह खुद बखुद जल गया।
बन्ता:- अच्छा अब तू क्या करने वाला है?
सन्ता:- मुझे जमीन से आलू निकालने हैं, इसलिए भूचाल का इन्तजार कर रहा हूं।
संताः- बंता यार, तूने तो कहा था कि यहां घुटने-घुटने तक पानी है लेकिन मैं तो डूबने वाला था…
बंताः- बात यह है कि मैं तो यहां नया आया हूं। मैंने सुबह बत्तखों को इस पानी से गुजरते हुए देखा था। उनके तो घुटने-घुटने तक ही पानी था…
संता (बंता से)- इतने धीरे क्या लिख रहे हो?
बंता (संता से)- अपने सात साल के बेटे पत्र लिख रहा हूं वो अभी छोटा है वो तेज नहीं पढ़ सकता ना।
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सन्ता:- ओये खोते देख कुदरत मेरी कितनी मदद करती है। मुझे कुछ पेड़ काटने थे और तूफान ने आकर मेरी समस्या हल कर दी। फिर मुझे कूड़ा करकट जलाना था तो बिजली गिरी और वह खुद बखुद जल गया।
बन्ता:- अच्छा अब तू क्या करने वाला है?
सन्ता:- मुझे जमीन से आलू निकालने हैं, इसलिए भूचाल का इन्तजार कर रहा हूं।
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संताः- बंता यार, तूने तो कहा था कि यहां घुटने-घुटने तक पानी है लेकिन मैं तो डूबने वाला था…
बंताः- बात यह है कि मैं तो यहां नया आया हूं। मैंने सुबह बत्तखों को इस पानी से गुजरते हुए देखा था। उनके तो घुटने-घुटने तक ही पानी था…
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