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Friday, March 11, 2011

Urdu Shayari | Friend shayari | Dard shayari

तेरी दोस्ती में खुद को महफूज़ मानते हैं,


हम दोस्तों में तुम्हे सबसे अज़ीज़ मानते हैं.


तेरी दोस्ती के साए में ज़िंदा हैं,


हम तो तुझे खुदा का दिया हुआ ताबीज़ मानते हैं.








मत पूछो मेरे दिल से तन्हाई मे


कितने पैग़ाम लिखता हूँ,दिन को लिखता हूँ,


रात को लिखता हूँ, सुबह को लिखता हूँ,


शाम को लिखता हूँ, वो क़लम भी पागल हो गई


जिससे तुम्हारा नाम लिखता हूँ |






वो कहते हैं की अगर नसीब होगा मेरा


तो हम उन्हे ज़रूर पाएँगे


हम पूछते हैं उनसे


अगर हम बदनसीब हुए तो उनके बिना कैसे जी पाएँगे

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