उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है
उनके इंतेज़ार में दिल तरसता है
क्या कहें इस कम्बख़्त दिल को
जो अपना होकर भी किसी और के लिए धड़कता है
दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा
हुस्न भी सौ-सौ रंग बदलता होगा
उठती होंगी जब नगाहें उनकी
खुद "खुदा" भी गिर-गिर के संभलता होगा
लोग अपनो से रिश्ता भी तोड़ देते है,
गैरों का दामन थम लेते है,
हम तो एक फूल भी ना तोड़ पाए,
लोग तो दिल भी कैसे . देते है
उनके इंतेज़ार में दिल तरसता है
क्या कहें इस कम्बख़्त दिल को
जो अपना होकर भी किसी और के लिए धड़कता है
दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा
हुस्न भी सौ-सौ रंग बदलता होगा
उठती होंगी जब नगाहें उनकी
खुद "खुदा" भी गिर-गिर के संभलता होगा
लोग अपनो से रिश्ता भी तोड़ देते है,
गैरों का दामन थम लेते है,
हम तो एक फूल भी ना तोड़ पाए,
लोग तो दिल भी कैसे . देते है
3 comments:
मुस्कराहट पे तेरी न जाने कितने फ़िदा होंगे
खाई थी कसम हमने न कभी जुदा होंगे
ज़र्रा हूँ मै ज़मी का और अज़ीम शख्सियत तेरी
मै तेरा बंदा ही सही और तुम मेरे खुदा होंगे
.....अल्ताफ हुसैन .......
मुस्कराहट पे तेरी न जाने कितने फ़िदा होंगे
खाई थी कसम हमने न कभी जुदा होंगे
ज़र्रा हूँ मै ज़मी का और अज़ीम शख्सियत तेरी
मै तेरा बंदा ही सही और तुम मेरे खुदा होंगे
.....अल्ताफ हुसैन .......
बे माया है दारा और सिकंदर मेरे आगे
कतरा नज़र आता है समन्दर मेरे आगे
अखलाक की दौलत का शहेंशाह हूँ ''सुलैमा''
बे वजह नहीं झुकते तवंगर मेरे आगे ..........सुलेमान ईरानी
पेशकश ........अल्ताफ हुसैन जौहरी ..........
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