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Tuesday, May 08, 2007

ख़ामोश मोहब्बत

ख़ामोश मोहब्बत

मेरी ख़ामोश मोहब्बत का

इतना तो सिला दिया होता,

कभी इक नज़र चाहत से

देख ही लिया होता.

हम भी तुझे इश्क़- -मोहब्बत

से आसाना करते,

बस इक बार अपनाय दिल में

आने तो दिया होता.

क्या जाता तुम्हारा बस

हमें ही दिल से ख़ुशी मिलती,

अपनी ज़िंदगी की किताब में

नाम हमारा भी लिख लिया होता.

देख लेते ज़रा गौर से शायद,

तुम्हारे हाथ की लकीरों में

हमराही किस्मत का भी दिया होता.

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