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Monday, May 14, 2007

आपन इंतजाम .......

आज हम फिर से मुस्‍करा के बात कइनी ह ....
तहरा साथे वितावल हम घडी याद कइनी ह ...
चेहरा के काल्‍ह मुस्‍कराये खातिर औरी...
मन के पूरान दिन याद रहे के इंतजाम कइनी ह...

आज फेर से पूरान बतियन में हेरा गईनी ह ..
आज फेर से पूरान याद में डूब गईनी ह .......
हमरा मालूम बा कि काल्‍हो भी इ बतिया
हमार सब संगतिया, हमरा जरूर याद आई

आज फेरू हम मन्दिर गईनी ह ........
पूजा कईनी ह, औरी परसादी भी चढौनी ह......
आज के येह घनघोर कलयुग में भी ......
भगवान के कृपा हमरा पर बनल रही

आजकल गर्मी के आनन्‍द उठावत बानी
अमवा के बगइचा में पसीना सुखावत बानी
विधना के लेखा ह कि समय बदलबे करी ....
बरखा के सीजन भी समय पर अइबे करी ......

हम हमेशा से मन लगा के काम करीले ......
तय समय से पहिले पूरा भी करीले .......
हमार इंतजाम पूरा बा काल्‍ही खातिर भी
चाहे देही में ताकत रही भा ना रही .............

आज फिर से हम सूते जातानी .........
आज कौनो निमन सपना देखब ...
अगली पीढी के सपना सौपेके बा .......
काहे से कि...काल्‍ह ओके पूरा करेके बा ......



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