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Monday, May 14, 2007

डोले बसन्ती बयार

डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।

गेहुँआ मण्टरिया से लहरल सिवनवा, होखे निहाल भइया सगर किसनवा
धरती के बाढ़ल श्रृंगार मगन मन होला हमार।।

बिहँसेला फुलवा महकेला क्यारी, ताक झाँक भँवरा लगावे फुलवारी
मौसम में आइल बहार मगन मन होला हमार।।

आईल कोयलिया अमवाँ के डरिया, पीयर चुनरिया पहिरे सवरियाँ
सोहेला पनघट किनार मगन मन होला हमार।।

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