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Tuesday, May 08, 2007

ख़ामोश ...

ना पूछिए हमसे अब कोई सवाल
उठ रहा है गमो का सैलाब
दर्द को दिल मैं दबाय
चुप बैठा ही रहने दीजिए
हमको यू ही ख़ामोश रहना दीजिए
ना पूछिए हमसे अब कोई सवाल

ना दे पाएगा हम कोई जावाब
आसूओं को हमारा पानी ही रहने दीजिए
आंगरो का ना इन्हे नाम दीजिए
हमको यू ही ख़ामोश रहने दीजिए
ना पूछिए आब हुंसा कोई सवाल

उठा जाएगा वरना बवाल
उसस बेवफ़ा को हमारा प्यार ही रहने दीजिए
गुनेहगार ना उसको पुकारा कीजिया
उठा जाएगी उंगली समाज की उस पेर
उसे पर्दे मैं ही रहना दीजिए
हमको यू ही ख़ामोश रहना दीजिए

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