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Tuesday, May 08, 2007

दिल की मासूमीयत क्या थी ....

दिल की मासूमीयत क्या थी

के हमने तुमसे प्यार किया

हुमारा गुनाह क्या था

हमने प्यार का इकरार किया

बेवफ़ा तो तुम निकले

जो इस काँच के दिल को

शीशे की तरह तोड़ दिया ......

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