कितना भी चाहो ना भूल पाओगे
कितना भी चाहो ना भूल पाओगे
हम से जितना दूर जाओ नज़दीक पाओगे
हमें मिटा सकते हो तो मिटा दो
यादें मेरी, मगर..
क्या सपनो से जुदा कर पाओगे हमें.
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आँखों की बेरूख़ी अच्छी नही होती,
यारों से दूरी अच्छी नही होती
कभी कभी मिला करिए हमसे,
हर वक़्त SMS से बात पूरी नही होती
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आपकी मुस्कान हमारी कमज़ोरी है,
यह कह ना पाना हमारी मजबूरी है,
आप क्यों नहीं समझते हमारी इस खामोशी को,
क्या खामोशी को ज़ुबान देना ज़रूरी है?
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मेरा वजूद सिर्फ़ मेरी मुहब्बत से है
मुझे गरुर बहुत अपनी मुहब्बत पे है
मुझे चाहते होंगे और भी बहुत लोग मगर
मुझे मुहब्बत सिर्फ़ अपनी मुहब्बत से है
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