इकरार में शब्दों की एहमियत नही होती,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नही होती,
आँखें बयान कर देती हैं दिल की दास्तान,
मोहब्बत लफ़्ज़ों की मोहताज़ नही होती!
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रोज़ एक नई शिकायत है आपसे…
ना जाने कैसी चाहत है आपसे…
कहने को तो बहुत लोग हें हमारे आस पास…
दिल को ना जाने कैसी मुहब्बत है आपसे…
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सभी नगमे साज़ में गये नही जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाए नही जाते,
कुछ पास रह कर भी याद नही आते,
कुछ दूर रह कर भी भूलाए नही जाते...
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कभी अजनबी से मिले थे,
फिर यू ही मिलते चले गये,
हम तो आपको दोस्त बनाने वाले थे
मगर आप तो हमारे दिल की धड़कन
बनते चले गये.
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