खुद को खुद की खबर ना लगे,
कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे,
आपको देखा है बस उस नज़र से,
जिस नज़र से आप को नज़र ना लगे...
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यह रास्ता अगर लंबा है तो क्या है
यह वक़्त अगर गुज़र जाए तो क्या है
इस सूरज को तो ढलना है कभी
यह आज ही ढल जाए तो क्या है
यह रास्ता बरफ की तरह है ठंडा
इस पर पैर फिसल जाए तो क्या है
एहसास दर्द को अब होता है नहीं
दिल को कोई कुचल जाए तो क्या है.
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होंठ कह नही सकते जो फसाना दिल का,
शायद नज़र से वो बात हो जाए.
इस उमीद में करते हैं इंतेज़ार रात का
कि शायद सपने में मुलाक़ात हो जाए.
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आप की याद मे सब कुछ भुलाए बैठे हैं,
चिराग खुशियों क बुझाए बैठे हैं…
हम तो मरेंगे आप की बाहों मैं,
यह भी मौत से शर्त लगाए बैठे हैं…
1 comment:
ok i like this comment very much........
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